लॉर्ड्स टेस्ट में भारत और इंग्लैंड ने अपनी-अपनी पहली पारी में 387 रन बनाए थे। वहीं इंग्लैंड टीम ने दूसरी पारी में 192 रन बनाए थे, जिसके जवाब में चौथे दिन स्टंप्स तक टीम इंडिया 4 विकेट गंवा चुकी थी। पांचवें दिन भी भारतीय टीम का हाल ज्यादा अच्छा नहीं रहा, क्योंकि उसके एक के बाद एक विकेट गिरते रहे। आखिर लॉर्ड्स के मैदान पर पांचवें दिन 100 रन का स्कोर चेज करना भी बहुत मुश्किल क्यों होता है, जबकि भारत को 193 रनों का लक्ष्य मिला था।

लॉर्ड्स मैदान का इतिहास रहा है कि यहां शुरुआत में खासतौर पर तेज गेंदबाजों को मदद मिलती है, पिच पर घास होने के कारण तेज गेंदबाजी में स्विंग देखी जाती है। वहीं जैसे-जैसे पिच पुरानी होती जाती है वैसे-वैसे बल्लेबाजी करना कठिन होता जाता है। चौथा दिन आने तक पिच में हल्की दरारें पड़ चुकी होती हैं, जिससे तेज गेंदबाजों को बॉलिंग में अच्छी सीम मूवमेंट मिलती है। लॉर्ड्स टेस्ट में चौथा और पांचवां दिन आने तक पिच में असामान्य उछाल देखने को मिलता है। वहीं स्पिनरों को भी मदद मिलने लगती है, इसी कारण भारत-इंग्लैंड मैच में चौथे दिन वॉशिंगटन सुंदर चार विकेट झटक पाए थे।

 

लॉर्ड्स टेस्ट में पांचवां दिन आने तक स्विंग का प्रभाव कम हो जाता है, लेकिन सीम मूवमेंट के कारण गेंद टप्पा खाने के बाद कांटा बदलने लगती है। कुछ ऐसी ही गेंद का केएल राहुल भी शिकार बने, जिन्हें बेन स्टोक्स ने आउट किया था। पिच के स्वभाव में बदलाव का ही नतीजा है कि भारतीय टीम सीरीज के तीसरे टेस्ट में संघर्ष करती दिखी।