नई दिल्ली। भारत ने रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाते हुए पांच साल पहले ही अपने लक्ष्य को हासिल कर लिया है। भारत ने अपने नेशनल क्लाइमेट एक्शन प्लान के तहत वर्ष,2030 तक कुल बिजली उत्पादन क्षमता में 50 फीसदी हिस्सेदारी नॉन-फॉसिल फ्यूल स्रोतों की करने का लक्ष्य रखा था। भारत ने इस लक्ष्य को वर्ष, 2025 में ही हासिल कर लिया है। फिलहाल, भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता 484.8 गीगावाट है और इसमें से 242.8 गीगावाट बिजली नॉन-फॉसिल स्रोतों से आ रही है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भारत की इस उपलब्धि के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि जब दुनिया क्लाइमेट सॉल्यूशन की तलाश में है, भारत राह दिखा रहा है। प्रत्येक भारतीय के लिए यह गर्व का पल है कि भारत ने 50 फीसदी बिजली नॉन-फॉसिल फ्यूल से बनाने की क्षमता हासिल कर ली है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का नेतृत्व भारत के हरित परिवर्तन को आगे बढ़ा रहा है और आत्मनिर्भर और टिकाऊ भविष्य का मार्ग दिखा रहा है।

ये है Green Energy

आज दुनिया तेजी से बदल रही है। विकास की अंधी दौड़ में पर्यावरण पर दबाव भी बढ़ रहा है। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस हमारे वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं और जलवायु परिवर्तन की गंभीर समस्या को जन्म दे रहे हैं। ऐसे में हरित ऊर्जा (Green Energy) एक ऐसी उम्मीद की किरण है जो ना केवल ऊर्जा की जरूरतें पूरी करती है बल्कि पर्यावरण को भी सुरक्षित रखती है। हरित ऊर्जा उन ऊर्जा स्रोतों को कहा जाता है जो स्वच्छ, नवीकरणीय और पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। ये ऊर्जा स्रोत प्राकृतिक रूप से प्राप्त होते हैं और इनके उपयोग से ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता। सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल विद्युत हरित ऊर्जा के शानदार उदाहरण हैं।

इसलिए अहम है यह बदलाव

गौरतलब है कि, पूरी दुनिया को क्लाइमेट चेंज से जुड़े गंभीर नतीजों से बचाने के लिए कोयला, डीजल, पेट्रोल और गैस जैसे जीवश्म ईंधनों के इस्तेमाल में कमी लानी है। इसके लिए तमाम देशों ने अपने लिए लक्ष्य भी तय किए हैं, जिनके तहत ग्लोबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज के लिए जिम्मेदारी उत्सर्जन को घटाना है। पिछले कुछ वर्षों में भारत ने सोलर सहित तमाम रिन्युएबल स्रोतों पर खासा ध्यान दिया है और अब नतीजे भी सामने हैं।